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Thursday, April 21, 2022

मैं चला गया हूं

 




मैं ख्वाहिशों के अज़ाब लेकर चला गया हूं

वो दिल वो खाना ख़राब लेकर चला गया हूं


मैं छोड़कर अपनी राह तकती उदास आँखें

जो बच गए थे वो ख़्वाब लेकर चला गया हूं


जिस पे मैंने मोहबत्तों की वही लिखी थी

वो एक ममनों किताब लेकर चला गया हूं


बस एक अजल को सुना गया हूं जो दास्ताँ थी

मैं ज़िन्दगी से हिसाब लेकर चला गया हूं


मैं काफिलों को दिखा गया हूं निशाने मंज़िल

मैं रास्तों के सराब लेकर चला गया हूं


उन्हें कहो के मैं ढोंड़ने से नहीं मिलूँगा

मैं गर्दे राह की नक़ाब लेकर चला गया

1 comment:

  1. Wo sb kuch chhodkr chle gye,
    mai marne se pahle mar chuka hun..!!

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